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Wednesday, June 22, 2022

गधों का महत्व

    अरुण को अपने 12 वर्षीय पुत्र से ऐसे जवाब की कतई उम्मीद नही थी।


    हतप्रभ रह गये थे वो।


    सोच में पड़ गये की अभी से ये हाल है तो आगे क्या होगा? वे उसको एक अच्छी सी सीख देना चाहते थे।


    पर कैसे....??


    एकाएक  उनके मन मे एक विचार आया! उनके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी, उन्होने  चन्दन से कहा।


    "बेटा आज हम पास के गांव मे घूमने चलेंगे, फटाफट रेडी हो जाओ!"


    चन्दन भी खुशी-खुशी तैयार हो गया। कुछ ही देर मे उनकी बाइक शहर  की पक्की सड़क  से उतर कर गाँव के कच्चे रास्ते पर हिचकोले खा रही थी।


    गांव के पास पहुच कर अरुण ने बाइक खडी की और पैदल ही चल पड़े।


    पास के ही एक खेत में एक किसान फसल की बुवाई कर रहा था, वह मिट्टी और पसीने से लथपथ हो रहा था।


    अरुण ने मुस्कुराते हुए चन्दन को सम्बोधित कर के  कहा " वो देखो सबसे बडा गधा!"


    चन्दन चौंक गया! वह समझ नही पाया कि पापा क्या बोल रहे हैं। इससे पहले की वह कुछ पूछता उन्होने आगे बढने का इशारा किया।


    कुछ दूर जाने पर फिर अरुण ने एक तरफ इशारा करते हुए कहा "ये रहा आपका दूसरा गधा!" चन्दन ने देखा एक ग्वाला अपनी  गायो को चारा पानी डाल रहा था।


    "पर पापा..."  चन्दन कुछ कहना ही चाहता था पर अरुण ने आगे बढने का इशारा किया।


    आगे एक बढई का घर था। बढई को देखते ही अरुण ने  फिर मुस्कुराते हुए कहा- "ये रहा आपका तीसरा गधा!"


    चन्दन ने देखा वो बढई एक कुर्सी बनाने मे व्यस्त था।


    चन्दन को समझ नही आ रहा था कि उसके पापा इन लोगे को गधा क्यूं बोल रहे है?


    वह कुछ पूछना ही चाहता था कि अरुण ने मुस्कुराते हुए  वापस चलने का इशारा किया।


    घर आकर एक बार फिर चन्दन विस्मित रह गया, जब उसके पापा ने  अस्त-व्यस्त कपड़ो  तथा पसीने से  लथपथ घर की सफाई कर रही  उसकी मम्मी की तरफ इशारा करते हुए कहा "ये रहा आपका चौथा गधा जो आपके घर मे ही मौजूद है।"


    चन्दन के चेहरे पर झुंझलाहट और रोष साफ दिख रहा था उसने अचकचाते हुए पूछा-


    "पापा आप सबको गधा क्यू बोले जा रहे है? वो किसान अंकल हमको अनाज देते है और वो दूधवाले अंकल सुबह-सुबह ही दूध दे जाते है। रामू चाचा के यहां  से तो मेरी टेबल बन कर आयी थी भला ये लोग गधे कैसे???


    और सबसे बड़ी बात! मम्मी इतना काम करती हैं, अगर वो न रहे घर मे तो पूरा घर गंदा हो जाएगा। खाना कौन देगा हमे? आप उनको गधा बोल रहे है? भला ऐसा क्या किया इन्होने?


    "अच्छा चलो! अब इन लोगो को समझाते है कि मेहनत तो गधे करते हैं।"


    अरुण ने चन्दन के सवाल को एकबार फिर  नजरअंदाज करते हुए कहा।


    सहसा चंदन को कल की बाते एक एक कर याद आने लगीं। जब एक बगल के अंकल ने उससे कहा था "बेटा मेहनत किया करो मेहनत का फल मीठा होता है।"


    "मेहनत तो गधे करते है।"  चम्दन ने तपाक से कहा था।


    "सॉरी पापा!"


    सिर झुकाए हुए इतना ही कह पाया था वह।


    लेखक - सूरज शुक्ला

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